दीवारों के कान होते हैं..
दीवारों के कान होते हैं..
क्या बात बतानी हैं ये तय कर लें,
किसको बतानी ये भी सोच लें,
जरुरी नहीं जिसे बताए वो ही सुनें,
क्योंकि दीवारों के कान होते !!
कोई गुप्त बात सहज में ना कहें,
गहरे राज़ जानने में अपने कान ना लगाए
जरुरी नहीं कि सुनने वाला ही बात फैलायें
क्योंकि सुनने को दीवारों के भी कान होते!!
कोई राज़ राज़ नहीं जब दूसरे को बता दें,
फुसफुसाहट भी शोर मचा बात फ़ैला दें,
बिना तह में जाये किसी की बात ना करें,
क्योंकि दीवारों के भी कान होते !