जिंदगी गुमराह करती है
जिंदगी गुमराह करती है
जिंदगी हर बार क्यों गुमराह करती है,
जिसको समझते है प्यार वो धोखा होता है,
अपने मतलब के लिये कोई इस्तेमाल कर जाता है,
धोखा इस क़दर मिल जाता है कि विश्वास टूट जाता है,
कभी ना करो किसी से दोस्ती किसी पे
भरोसा ये दिल चिल्ला उठता है,
मतलबी है लोग यहाँ मतलबी जमाना,
समझो ना किसी को अपना किसी से ना दिल लगाना,
सोच समझकर ही किसी को अपना बनाना,
अपने ही बन जाते है बेगाने गैरो को क्या अपना बनाना,
दिल टूट जाता है जब कोई गुमराह करके चलता बने,
चाहकर भी फिर सम्भलना मुश्किल लगता है।