अवध आज खूब सजा है
अवध आज खूब सजा है
प्रभु आनेवाले हैं,अवध सजा है,
श्री राम हम हैं आपके शरण !
मंदिर फूलों से सज के,
महका रहा जिया भरण !
जल पावन सरयूं का है,
है प्राण प्रतिष्ठा में नवल !
मर्यादा पुरुषोत्तम है,
श्री राम तेज मुख धवल !
गाओ मंगल गीत सभी ,
शुभ भाव कर्म की विजय हो !
कलियुग के भी त्राता बन,
पापी मेटो बनो अजय हो !
दाता हो जन जन के तुम,
श्री राम के करें दरस !
पापी का कर दो तुम नाश ,
सत धर्म पालना सरस !
मत देखो अवगुण इस भक्तिन के,
मैं दौड़ी द्वार पर आ गयी मगन !
देखी उस की प्यारी मूरत तो,
हर पल दिखो लगी लगन !