STORYMIRROR

Phool Singh

Classics Inspirational

4  

Phool Singh

Classics Inspirational

आसक्ति

आसक्ति

1 min
20


विषय का ध्यान आसक्ति बढ़ाता

आसक्ति से होता काम निर्माण

काम की पूर्ति जब हो नहीं पाती

क्रोध में आता तब इंसान


मोह बढ़ जाता तब विषय के प्रति

भ्रमित होता तब इंसान

बुद्धि का नाश हो जाता उसकी

किसी काम न रहता तब इंसान।।


बिन बुद्धि के क्या कर सकता वो 

भटकन में होता तब इंसान

मन की शांति भंग हो जाती

तब सर्वनाश के द्वार पर हो इंसान।।


विषय का चिंतन जो छोड़ दे बंधु

सुख शांति होती उसके द्वार

प्रेम, दया की भावना ह्रदय जगती

सोना-मिट्टी सब एक समान।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics