विभूषित परिचय
विभूषित परिचय
दीपक पूर्णचन्द्र सूर्य के आभरण हैं अपार किरण,
निष्कपट स्मितहास है प्रफुल्ल वदन का विभूषण,
सद्गुणसम्पन्न चिंताधारा करें मानस का अलंकरण,
धाराप्रवाह सटीक संवाद है वाक्शक्ति के आभूषण।१।
विशिष्ट व्यक्ति जब उपयुक्त स्थिति में करें समुचित सहाय,
तब सभ्य समाज हेतु बनते हैं वास्तविक विपुल विश्वसनीय,
समता ममता सद्भावना सदाचार द्वारा हो जाते हैं बहुमूल्य,
सर्वजनों के उत्थान उन्नति के यत्न द्वारा बनते हैं लोकमान्य।२।
प्रत्येक मनीषी के अंतरंग में है एकक विशेष विभूषित परिचय,
मार्गदर्शकों से होता है सर्वगुणसम्पन्न मेधाशाक्ति का विनिमय,
जनसमूह में होता है एक नवीन प्रभावशाली नेतृत्व का नवोदय,
अपने महत शालीन हृदयग्राही व्यक्तित्व से सदा रहते हैं नमनीय।३।