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Rahulkumar Chaudhary

Romance Tragedy Classics

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Rahulkumar Chaudhary

Romance Tragedy Classics

बेखौफ एहसास

बेखौफ एहसास

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आ गए फ़िर तेरे अरमान मिटाने हम को,

दिल से पहले ये लगा देंगे ठिकाने हम को


सर उठाने ना दिया हश्र के दिन भी ज़ालिम,

कुछ तेरे खौफ़ ने कुछ अपनी वफ़ा ने हम को


ज़ुल्म का शौक़ भी है शर्म भी है खौफ़ भी है,

ख़्वाब में चुप के वो आते हैं सताने हम को


चार दाग़ों पे ना ऐहसान जताओ इतना,

कौन से बख़्श दिए तुम ने ख़ज़ाने हम को।


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