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S N Sharma

Abstract Tragedy Classics

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S N Sharma

Abstract Tragedy Classics

बस तू है, तेरी याद है,,,,,

बस तू है, तेरी याद है,,,,,

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जिंदगी के बीच एक रह गई दरार है।

बस तू है तेरी याद है तेरा इंतजार है।


आरजू चमन की किसके वास्ते करें।

और हम क्यों बहार के लिए आहें भरे।


नजर नजर का फेर है या मेरा विचार है।

बस तू है तेरी याद है तेरा इंतजार है।


आसमां सजा सजा धरा भी है हरी भरी।

सांझ का आंचल छुए है हवा नमी भरी।


ऐसी हर शाम को दिल मेरा बेकरार है।

बस तू है तेरी याद है तेरा इंतजार है।


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