किसे समझाएं
किसे समझाएं
किसे समझाएं कैसे
जीत हार का फेरा
हारते हारते जीते वो
मैं जीतते जीतते हारा।।
लेकिं कटघरे में है वो
बिन कुसूर बिन ख़ता
गुनाहों का ईल्म नहीँ उसे
गवाह को सब पता।।
कामयाबी काबिलियत का
अजब रिश्ता है भाई
कामयाब खड़ें हैं वो आज
काबिलियत जिनमें नहीँ।।
मुफ़त राशन के लिए
कतार में शिक्षित बेगार
नचा रहा है मदारी
नाच रहा है बंदर।।
नाच मेरी बुलबुल
पैसा मिलेगा जरूर
आम खाने से मतलब
गुठली गिनना फितूर।।