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Shobha Goyal

Drama

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Shobha Goyal

Drama

महिला दिवस मनाता है

महिला दिवस मनाता है

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बेटे की पनपती चाहत में 

अजन्मी बेटी को कोख में मारकर

बेटी को पराया बोझ मानने वाला

ये समाज महिला दिवस मनाता है


दहेज में भारी रकम लेकर आने को कहना

ना लाने पर ताने उलाहने यातनाएं देना

पुनर्विवाह के लिए आग में झोंकने वाला

ये समाज महिला दिवस मनाता है


कभी देवी बनाकर उसकी पूजा करना

कभी बलात्कार कर सडक पर फेंक देना

कभी कभी एसिड अटैक का दंश देने वाला

ये समाज महिला दिवस मनाता है


लगाकर पिंजरा उसकी उडान पर 

परम्परा की बेड़ियों में जकड़कर 

हिफाजत के नाम पर बंदिशों में बांधने वाला

ये समाज महिला दिवस मनाता है


चिरकाल से छली गयी नारी

द्रोपदी हो या निर्भया बेचारी

नारी को भोग मानने वाला

ये समाज महिला दिवस मनाता है


सामाजिक बंधनों में उलझाकर 

उंच नीच का ज्ञान बतलाकर

लड़की हो हर कदम पर बताने वाला

ये समाज महिला दिवस मनाता है


कर घर को केन्द्रित महिला के हवाले

समझ कर उसको महज कीत ए नौकर

अच्छाई और भोलेपन का फायदा उठाने वाला

ये समाज महिला दिवस मनाता है।


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