बस आँखों में चंद कतरे लिए अपने गंतव्य को चल दी। बस आँखों में चंद कतरे लिए अपने गंतव्य को चल दी।
फिर भी ना भरा तेरे लालच का प्याला। वाह रे इनसान फिर भी ना भरा तेरे लालच का प्याला। वाह रे इनसान
तू घर का है, न घाट का, किसी मुल्क न, खानदान का, आतंकियों के जमात का, हैवानियत का तू रहनुमा। तू घर का है, न घाट का, किसी मुल्क न, खानदान का, आतंकियों के जमात का, है...
अच्छाई और भोलेपन का फायदा उठाने वाला ये समाज महिला दिवस मनाता है। अच्छाई और भोलेपन का फायदा उठाने वाला ये समाज महिला दिवस मनाता है।
सभी बराबर है समाज में ऊंच-नीच का भेद मिटाया। सभी बराबर है समाज में ऊंच-नीच का भेद मिटाया।
अब कैसे संभले कहाँ खुशियां मनाये आज़ादी की बाट जोहता बैठा बंदिशों में। अब कैसे संभले कहाँ खुशियां मनाये आज़ादी की बाट जोहता बैठा बंदिशों में।