नयी सुबह का आगाज
नयी सुबह का आगाज
नयी सुबह का आगाज करते हैं
खुशी भरे पल संग साथ लिखते हैं
जो बीत गया उसे भूल जाने दो
जो आ रहा है उसे स्वीकार करें
वर्तमान जो है अब तेरे हाथ में
इसी से अब हम प्रीत प्यार करें
कुदरत ने रचा है सबकों समान
यूं न भाग्य को कोसो हर बार
खुद बनो जीवन के भाग्य विधाता
गाओं खुद जीवन के राग मल्हार
कुछ ज्ञान भरे कुछ प्रेम करो
मेहनत से सपने साकार करो
कुछ हंसी के पल कुछ गम के क्षण
कुछ अलग सा अब तुम सार लिखो
खुबसूरत नये उजालों की रचना
ख्बाबों से ऊपर हकीकत के धरातल पर
मिटाकर अंधेरो को करो निशा अलविदा
नयी सुबह के उजास का आगाज करो!