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Laxman singh chundawat

Drama

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Laxman singh chundawat

Drama

मेरी उलझन

मेरी उलझन

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बेपरवाह हम न थे जिन्दगी की उलझनो से

वह तो दिल था जो मह्ररुम था इन सब से

भिड़ मे भी हम अकेले खड़े थे ओर

वह कह्ता न रुस्वा हो साया तेरे साथ है साहिल,


जुबा पर नाम था उसकी कशिश का

लेकीन हलक से निकला न कोई अलफ़ाज

उन्होने दुआ मे भी हमारी सलामती माँगी

ओर हम इबादत समझ यू ही निकल गये,


रफ़्तार मे थी सारी दुनीया जहाँ

नादानी मे हम टहल रहे थे

हर कोई कस्ती मे उस पार था

हम बैठे-बैठे लहरो से उलज रहे थे,


महफ़िल की थी तमन्ना ए आरजु

जहाँ हम हो सभी मे ख़ास

छलके कई पैमाने जारो मे

पर हम किसी और प्यास मे ही उम्र गुजार बैठे॥


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