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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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मेरी पहली होली

मेरी पहली होली

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अबकी होली

तुम संग खेली

वो रे पिया

मेरी पहली होली।


तुमने पिला दी कैसी हाला

मन काला, पीला कर डाला

शब्द शब्द में रंग उड़ा है


धरती अम्बर सब रंग डाला

वो रे पिया

शब्द शब्द में रंग उड़ा है

तुम संग होली पहली होली।


डर को प्रेम रंग, रंग डाला

नफरत रँगी गुलाबी काया

अधर अधर पर चाहत का रंग

बाहों में मुझको भर डाला

वो रे पिया

बाहों में मुझको भर डाला

तुम संग होली पहली होली।


रंग में अपने मुझे डुबोकर

छिप छिप जग से खेली होली

हमने सुना था वख्त न रुकता

मुड़ मुड़ मुझसे आंख मिलाया

वो रे पिया

मुड़ मुड़ मुझसे आंख मिलाया

तुम संग होली पहली होली।


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