मेरी माँ
मेरी माँ
मेरा सच झूठ तुझसे क्या छुपा,
सब कुछ तो तू जान लेती माँ....
वो बात जो मैं कह ना सकूं,
हमेशा तू पहचान लेती माँ...
चलते चलते इस जीवन के बन में,
थोड़ी राहत पाने हूँ मैं आया....
धूप से जो मुरझा गए थे,
मिल जाए इन्हें तेरी आँचल का साया...
गिरने को रहूँ मैं जब भी इस पथ पर,
हमेशा मुझे तू थाम लेती माँ,
मेरा सच झूठ तुझसे क्या छुपा,
सब कुछ तो तू जान लेती माँ....
आह भी निकले कहीं दूर मेरी,
तो ध्यान तेरा वहाँ पड़ जाए....
ऐसी लड़ाक है तू माँ मेरी,
मेरे लिए दीवार से भी लड़ जाए...
कर के हमेशा वो दिखलाती हैं ,
एक बार जो तू ठान लेती माँ...
मेरा सच झूठ तुझसे क्या छुपा,
सब कुछ तो तू जान लेती माँ....
दुआ हैं बस मेरी इतनी,
तेरी हर दुआ क़ुबूल हो...
चले जिन राहों पर तू,
बस वहां फूल ही फूल हो...
मुस्कराती रहें हमेशा वैसे है तू,
जैसे हरदम मुझे मुस्कान तू देती है माँ...
मेरा सच झूठ तुझसे क्या छुपा,
सब कुछ तो तू जान लेती माँ....
वो बात जो मैं कह ना सकूं,
हमेशा तू पहचान लेती माँ...
मेरा सच झूठ तुझसे क्या छुपा,
सब कुछ तो तू जान लेती माँ....