मेरी माँ, मेरा रब
मेरी माँ, मेरा रब
ज़िन्दगी की हर ख़ुशी-ग़म में मेरी माँ, मेरा रब है
कैसे बयान करूँ लफ़्ज़ों में मेरे लिए वही सब है
शुक्रगुज़ार हूँ मैं करवाया रूबरू मुझे इस जहाँ से
नसीब होती है जन्नत ये,ख़ुशक़िस्मती होती जब है
घूमती रहती हर लम्हा ज़िंदगी इर्द-गिर्द अपनों के
हर हाल में प्यार और भरोसे का रसायन अजब है
जग सारा सोता माँ जागती रहे मेरे हर दुख-दर्द में
सही-ग़लत के साथ सीखलाती जीने का अदब है
बेपनाह फ़िक्र औ मोहब्बत का दरिया होती है माँ
होती रहनुमा वहीं ज़िंदगी की मुस्कान का सबब है
वक़्त आने पर बन जाती है ढाल लड़ने आफ़तों से
माँगे न कभी कुछ,लुटाती रहती प्यार गौरतलब है
न्योछावर कर देती वो जान भी,निकालकर कलेजा
नहीं है मोल ममता का,नहीं कोई उसका मज़हब है।