मेरी कलम
मेरी कलम
मेरी कलम मेरे पूर्वजों की पहचान है
मेरे लिए आन, भान और शान है।
सुख दुःख के भाव साझा करती
मेरी जिंदगी का अनुपम उपहार है।
मेरी कलम मेहरबान रही है मुझ पर
खुशी और गम की बातें लिखने में।
अमीरों के किस्से बयान करने में
गरीबों के लाचार हाल सुनाने में।
कई मरतबा सिमटती है, सिसकती है
फिर संभलकर सात सुरों में डूब जाती है।
कुदरत के करशिमे भी चित्रित करती है
गीत, ग़ज़ल और नग्मे भी लिखा करती है।