मेरी डायरी
मेरी डायरी
कभी तुने डायरी खोली होगी तो जरुर बताना,
कौनसे पन्ने पे मैंने गुलाब की पख़ुडी रखी है।
तुने कभी ज़हमत नहीं उठायी डायरी पढ़ने की,
जिन्दगी की किताब तुम कैसे पढ़ोगें
कही जगह पे मोहब्बत की दास्तनें होगी।
कही पे तुम्हारी अदायें बयान होंगी।
कहीं नाराज़गी को मनाना होगा।
कहीं पे दिल की नादानी का अफ़साना होगा।
होगा तो बहुत कुछ मेरी डायरी मे, जो
तुम्हारे नज़र के सामने खुली पडी है।
आज पढ़कर तुम राय बदल देना, नहीं तो
तेरी मौन से मैं अपने अंदाज लगा लूँगा
और फिर शायद कल मेज़पर डायरी में
वो आख़री पन्ना जरुर पढ़ना, लेकीन
आग़ाह करता हूँ तुम्हे, जो एक आँसु की
बूंद जो नज़र आयी, मेरी जिन्दगी पर।