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SURYAKANT MAJALKAR

Abstract

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SURYAKANT MAJALKAR

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तेरे शहर में

तेरे शहर में

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तेरे शहर में मेरा न आना होगा, 

कल सूरज उगते ही कहीं और ठिकाना होगा,

तुजसंग गुज़रे हुए पल याद होगा,

दिल से जूड़ी चीज़ को कैसे भूल पाएंगें।


तुम जिंदगी को ठिक उसी तरह जीना,

तुने जो किया वादा, हमेशा साथ निभाना,

अब तेरे शहर मेमोशी बसर होगी,

तेरे हर दिन हर रात हर बात पर असर करेगी,


तेरे शहर मे पार रुक हे गये है,

छोड़ो अब जिद जाने भी दो..

सवेरा हो रहा है।


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