STORYMIRROR

Rajit ram Ranjan

Romance

3  

Rajit ram Ranjan

Romance

मेरी अजान थी वो !

मेरी अजान थी वो !

1 min
254

मैं उसे इतना 

चाहता था, 

ऐ उसे भी नहीं 

मालूम था, 

अंधेरों के बिना जैसे 

रातें अधूरी 

होती 

हैं, 

वैसे ही उसके 

बिना मैं !

मेरी खुद कि 

पहचान थी वो, 

मैं जिन्दा था 

क्योंकि मेरी जान थी वो, 

मेरी मुस्तकबिल, 

मेरी आशिया 

मेरी अजान थी वो, 

मुझमें मेरी 

परछाई 

मेरा प्रान थी वो, 

वो जानती 

थी कि 

उसके बिना मैं 

एक छड़ भी,  

मैं मैं ना हू...

मेरे सपनो के 

पँख वाली 

तितली जैसी 

विमान थी वो,  

मैं जिन्दा था 

क्योंकि मेरी जान थी वो... 

मेरी आशिया 

मेरी अजान थी वो !



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance