मेरे शिक्षक मेरा जीवन
मेरे शिक्षक मेरा जीवन


गुरु बिन कैसा होता ये हमारा जीवन,
जैसे फूलों बिन होता कोई उपवन।
बस शारीरिक बदलाव ही रहता हममें,
रहता बुद्धिहीन और न समझ ही ये मन।
गुरु है ज्ञान का और संस्कार का एक रूप,
बिन गुरु नही मिलता हमे विद्या रूपी ये धन।
सही मार्ग पर ले जाए वो अपने शिष्यों को,
बस इसी बात का वो हमेशा करते रहते चिंतन।
सृष्टि में गुरु का स्थान सर्वोपरि माना गया है,
हमें पहचान दिलाने का करते है लाख जतन।
गुरु हर वो इंसान है जो तुम्हें सही गलत सिखाए,
हमारे व्यक्तित्व को संवारने के करे सतत प्रयत्न।