बेटी बचाओ
बेटी बचाओ
अपनी हवस के खातिर इक मासूम की ले ली जान,
कर रही थी वो सामना काट दी हैवानों ने उसकी जुबान।
फिर भी हिम्मत न हारी तो मिलकर मरोड़ दी उसकी गर्दन,
आखिर वो हार गई मिटा दी शैतानों से उसकी पहचान।
हाल पूछो उस हारे हुए माँ -बाप से उनकी बेटी का,
आँखों में भरे है वो आँसू जीते जी हो गए वो बेजान।
ज़िन्दगी से जंग लड़ रही थी अपने सपनो को पूरा करने को,
पर लड़ते लड़ते हार गई और निकल गए उसके शरीर से प्राण।
कुछ दिन करेगा पूरा समाज उसके लिए यूँ न्याय की बस बात,
फिर केस चलेगा वर्षो यूँ और आज़ाद हो जाएंगे वो शैतान।
इंसाफ चाहिए मुझे एक लड़की के लिए इस देश के कानून से,
चढ़ाओ उन्हें सूली पर उससे पहले उनके जिस्म पर दो उससे ज्यादा निशान।