#मैं एक नारी हूँ#
#मैं एक नारी हूँ#
नारी तुम्हें चुप रहना चाहिए क्युकी तुमसे सृष्टि का निर्माण होगा,
बोलोगी तो समाज को माँ-बाप के दिए गए संस्कार का पता लगेगा।
ये तो समाज से पहले हमारे अपने माँ-बाप ही हमे सिखा देते है,
कहते है लोग संघर्षों से जुड़ी स्त्री का महफूज़ हर रिश्ता रहेगा।
लड़ गयी कही वो अपने पहचान और अपने सम्मान के लिए ,
फिर देखिए वो कैसे चरित्रहीन और निर्लज्ज तुझे बेबात बता देगा।
दफ़न कर अपनी ख्वाहिशों और अपनी ख़ुशियों को उनके लिए,
उनको तेरा ये त्याग और समर्पण बस इक की गई खता ही लगेगा।
समझकर भी न समझ बन जाते है यूँ हमारे समाज के लोग,
औरत हैं तू ज्यादा नही बोल सकती ये दुःख जीवन भर सताता रहेगा।
कब महसूस करेगा ये समाज उसके हालातों और जज़्बातों को,
या बस उसको अपने झूठे सम्मान के लिए यूँ झुकाता तू रहेगा।
बनकर अबला यूँ अब तू न सारे अपमान और दर्द बिन बात सहेगी,
तेरा रौद्र रूप ही तेरे अस्तित्व का हर पल उन्हें एहसास दिलाता रहेगा।