यादों का सफर
यादों का सफर
कैसी ज़िन्दगी ये कैसा सफ़र है
ख्वाबों में बीतता ये अक्सर है
आलम तो देखो इन आँखों का,
हर पल इनकी तुझ पे नजर है
मुझे पता है कितने करीब हैं वो
किसने कहा दूर उसका शहर है
सब कहते हैं मैं उसकी दीवानी हूँ,
बेशक ये बिल्कुल सच्ची खबर है
मैं जब भी लिखती कोई शेर मैं
सब कहते लफ्ज़ों में तेरा असर है
आ जाती है याद हर पल हर रोज
जैसे होता रोज़ का कोई दफ्तर है
उसकी यादों में बह जाते है अश्क
क्या करूँ दिल है थोड़े न पत्थर है।
