मेरे फटे जूते
मेरे फटे जूते
मेरे फटे जूते
अपनी चमक से अक्सर
मेरे हालात छूपा लिया करते हैं।
खुद ठोकर खा कर भी
मुझे बचा लिया करते हैं।
धूप सही बारिश सही ओर सही गरीबी
मन जाना तन जाना ओर जाना ससांर को।
विपदा मे साथ छोड़ दिया परिवार ने।
मेरे फटे जूते
अपनी चमक दिखा कर
जमाने को बेवकूफ बना रहे थे।
कई कई ठोकरे खा रहे थे
अपना दर्द छुपा रहे थे।
मगर कम से कम जमाने के
कंकड़ पत्थरों से तो बचा रहे थे ।
मेरे फटे जूते मेरे काम आ रहे थे।