हिंदी की पीड़ा
हिंदी की पीड़ा
जमाने की उंगलियों पर
आज जमाना है
जाने क्यो लगता है
जमाने के मुख पर बहाना है
हम साथ-साथ तो है
मगर एक साथ क्यो नहीं
सियासत की उलझन में
हम उलझे है
इन्सानियत की डोर में
हम बुने नहीं
भारत की बेटी है
हिंदी
जिसके मान की बात
हमने सुनी नहीं
हिंदी को छोड़
अपने बच्चों को अंग्रेजी का
पाठ पढ़ाया है
जन्मे हिंदी की कोख से
और ब्रिटिश का इतिहास पढ़ाया है
सुबह दोपहरी टूटी फूटी अंग्रेज़ी को पढ़ना
हिंदी को माटी में गड़ना
बोलो किसने सिखाया है
क्या दामन पे दाग हमारे तुम्हारे नहीं आया है