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Kuber Bharti

Abstract

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Kuber Bharti

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पागलपन

पागलपन

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मेंने तो मोहब्बत की थी तुमसे ।

ये कोई खता नहीं।

तू बेगरत थी और है।

क्या मुझे पता नहीं।

में तेरी मोहब्बत में पागल हुआ 

अब पागल पन से बडकर कोई सजा नहीं। 

मैंने सोचा की अब तुझसे।

अपनी मोहब्बत का हिसाब करूं।

पता चला की मेरे पास 

तेरा कोई पता नहीं।


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