माँ से अच्छा कौन
माँ से अच्छा कौन
मुझ को हर जगह माँ नजर आती है।
मेरी गलतिओ को छुपा मुझे दुनिया से
अपने आँचल में छुपाती है,
लगा गाल पर थप्पड़ मुझे सही
राह दिखाती है।
जाना अनजाना सा हूँ इस जमाने से,
क्योंकि मुझे तो सिर्फ मेरी माँ नजर आती है।
ये दुनिया मेरे किसी काम की नहीं ,
मुझे तो लोरिया सिर्फ मेरी माँ सुनाती है।
डांटती है दिन भर में दसीयों बार,
लेकिन शाम को दिन छिपते ही खाना
अपने हाथों से खिलाती है।
की थी गलती तूने ही मुझ को समझाती है।
मुझ को हर जगह माँ नजर आती है।
बिना कुछ कहे मेरी तकलीफों को वो
जाने कैसे समझ जाती है,
मुझ को तो हर जगह माँ नजर आती है।
अरे मुझसे तो हर कोई मतलब से मतलब रखता है,
बिना मतलब के मतलब तो माँ रखती है।
तन्हाई मे न जाने क्यो मुझ को हर जगह
माँ नजर आती है।