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Vandana Singh

Romance

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Vandana Singh

Romance

मेरे पास ही रह जाना

मेरे पास ही रह जाना

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जानती हूं तुम नहीं हो, या नहीं आओगी कभी

पर फिर भी पलटती तस्वीरों में ढूंढ़ती हूं तुम्हें

अनायास ही तुम्हें देख पाने की जिजीविषा

इस कदर हावी हो जाती है कि पुराने,

पीले पड़े खतों में निहारती हूं तुम्हें


नहीं जानती अबतक कि सच क्या था

सब मान कर भी मन को मना ना पाती हूं

तुम झांकती हो हर ओर अंतर्मन से

तुम्हें देखकर भी छू ना पाती हूं


विचलित सा मन हर वक़्त तुम्हें हर ओर खोजता है

भला कोई अपनी बहन को इतना भी तड़पाता है

चल तू जीत गई, मैं ही हारी

क्या जा कर फिर कोई लौटकर नहीं आता है


दे दूंगी सबकुछ जिसके लिए हम लड़ा करते थे

कुछ भी नहीं चाहिए मुझे

बस एक बार तू लौटकर आजा

बस इतनी सी ही चाहत चाहिए मुझे


तुम सुन सकती हो तो सुनलो

तुम्ही सबसे प्रिय थी मुझे

शायद लड़कपन में कह ना पाई कभी

पर बहन नहीं, तुम मां तुल्य थी मुझे


अब जो कभी लौटकर आना

तो मुझसे दूर फिर कभी ना जाना

मेरी हर नादानी को माफकर

बस मेरे पास ही रह जाना।


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