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KUMAR अविनाश

Romance

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KUMAR अविनाश

Romance

मेरे ख़्वाब की वजह

मेरे ख़्वाब की वजह

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कल मेरे ख़्वाब की वजह बता दी उसने

फिर मेरे जीने की आस जगा दी उसने


सुर्ख आंखों से बहे शबनमी मोती उसकी

यूँ नज़र हम से मिला फिर झुका ली उसने


अपनी परेशानी का दिया बुझा दिया उसने

इस कदर मासूम खता की उसने


अपने जज़्बात का इज़हार किया जब उसने

अपनी पायल को पायल से बजा दी उसने


अपने आँचल में लिए हुस्न को वो सहमी थी

इस तरहा अपनी मासूमियत बता दी उसने


उसके प्रार्थना में बसी ये कैसी खुशबू

जिस से महका दी मेरी रूह तक उसने


मैंने पूछा जो मेरे प्यार की उम्र है कितनी

सितारों की तरफ उंगली उठा दी उसने


खुद में मदहोश है वो दीवानी हुई जाती है

मुझको ये राज की बात बता दी उसने।


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