मेरे इश्क़ में
मेरे इश्क़ में
मेरे इश्क़ में
हर नज़राना होगा नायाब।
ना बन्दिशों से ठहरे,
धड़कते दिलों के राज़।
ना अदा-ए-हुस्न पर ठहरे
मेरी मोहब्बत का
पूरा होगा हर ख़्वाब
हर नज़राना होगा नायाब।
इश्क़-ए-तलब मेरी मिटेगी
जब आँखों से आँखे मिलेगी
करिश्मा-ए-कुदरत बुनेगी
पलक भी झपकने में।
होगी ना कामयाब
हर नज़राना होगा नायाब।
पल पल के क़रार को
मिलेगा ऐतबार,
चूक के लिए रहूँगा इख़्तियार,
हमेशा करूँगा इबादत-ए-प्यार।
हर खुलते हुए लब का
मिलेगा तुम्हें ज़वाब,
हर नज़राना होगा नायाब।

