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Yash Dhilor

Romance

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Yash Dhilor

Romance

मेरे इश्क़ में

मेरे इश्क़ में

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मेरे इश्क़ में

हर नज़राना होगा नायाब।

ना बन्दिशों से ठहरे,

धड़कते दिलों के राज़।


ना अदा-ए-हुस्न पर ठहरे

मेरी मोहब्बत का

पूरा होगा हर ख़्वाब

हर नज़राना होगा नायाब।


इश्क़-ए-तलब मेरी मिटेगी

जब आँखों से आँखे मिलेगी

करिश्मा-ए-कुदरत बुनेगी

पलक भी झपकने में।


होगी ना कामयाब

हर नज़राना होगा नायाब।


पल पल के क़रार को

मिलेगा ऐतबार,

चूक के लिए रहूँगा इख़्तियार,

हमेशा करूँगा इबादत-ए-प्यार।


हर खुलते हुए लब का

मिलेगा तुम्हें ज़वाब,

हर नज़राना होगा नायाब।


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