मेरे हम-नवा
मेरे हम-नवा
तेरी याद में रोज रो–कर बहाते है गम
मुहब्बत करते थे और करते रहेंगे हम
जहाँ भी हो बस तुम खुश रहना सदा
मेरे हम-नवा यही दुआ करते रहेंगे हम
दूरियां बढ़ गई पर प्यार हुआ ना कम
जैसे―तैसे कॉट रहे बची जिंदगी हम
क्या बताये किस दर्द से गुजर रहे हम
तुम―बिन कैसे मर–मर के जी रहे हम
आसाँ नही था तेरे लिए भी ये जुदाई
दर्द―ए―दिल कम करे बता वो मरहम
जब रूह से मोहब्बत है तो क्या गम
बोलती आज भी तुम ही हो हम-दम
कसम खाकर कहूँ. रोक रहे खुद को
कब तक रोक पाउँगा बढ़ते ये कदम
जहाँ भी हो बस तुम खुश रहना सदा
मेरे हम-नवा यही दुआ करते रहेंगे हम
हाँ तुम्हें प्यार सम नही करते थे विषम
दूरियां बढ़ जाने से प्यार होता ना कम
सुन यार ये इश्क़ रूह से रूह का था
तुम ही बोलो इसे कैसे भूल जाये हम।