मेरे हीरो
मेरे हीरो
मेरी खुशियों की जमीन,
मेरे ख़्वाबों का आसमान हैं,
मेरे हीरो हैं मेरे पिता,
इस जग में मेरी पहचान हैं।
बेफिक्र गुज़र जाता बचपन,
पिता के साए में रहकर,
जिसकी उंगली थामकर,
लगे हर मुश्किल आसान है।
जीवनभर संघर्ष करता है,
पिता अपनी संतान के लिए,
पिता के साथ लगता ये जीवन,
हर ग़म से अनजान है।
अपनी खुशियाँ बलिदान कर,
संतान के सपने संजोता,
संतान का जीवन हो सुखी,
यही पिता का होता अरमान है।
सख़्त अनुशासन में रखता पिता,
किन्तु प्रेम भी करता अपार,
पिता की सख़्ती को जो बंदिश समझे,
इंसान वो बड़ा ही नादान है।
कभी डांट कभी प्यार से समझाया,
जीवन की सीख देता,
पिता जीवन की उलझन में,
विश्वास की एक ऊंँची उड़ान है।
भाग्यशाली हूंँ मैं इस जग में,
मेरे सर पर पिता का हाथ,
बिन बोले सब समझ जाते हैं,
मेरे पिता मेरे हीरो, मेरी पहचान हैं।