मेरे दिल का गुलाब
मेरे दिल का गुलाब
खुशबुओं से भरा था
और ये नादान दिल इत्र सा महक रहा था
मेरा चेहरा यूँ ही नही खिला था
ये तो गुलाब की कोमल पंखुरियों से जा मिला था
अब तो इसके काँटों की चुभन में भी मिठास थी
गुदगुदाती हुई कोई प्यारी सी अहसास थी
जब दिल से किसीको को अपनाते हैं
उसकी कमियाँ भी हमें भाते हैं
खूबसूरत गुलाब हमें यही तो सिखाते हैं
मेरे कम्बख्त दिल को कहीं इश्क़ तो नहीं हुआ
तेरी हर अदा पर अब मेरा दिल फ़िदा हुआ।