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मेरे भारत देश-सा कोई नहीं महान

मेरे भारत देश-सा कोई नहीं महान

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घूम लिया परदेश मैं, देखा सकल जहान। 

मेरे भारत देश-सा कोई नहीं महान।।


राम-कृष्ण जन्में यहाँ, लेकर मानव रूप। 

गोकुल-बृज-साकेत में, लीला किए अनूप।

रावण जैसे दुष्ट का, करे राम संहार। 

वध करने ही कंस का, कृष्ण लिए अवतार। 

रक्षा करने धर्म की, आते जब भगवान। 

मेरे भारत देश-सा कोई नहीं महान।।


प्रेम जहाँ सर्वोपरी, प्रेम जहाँ की रीति। 

जहाँ सभी मिलकर रहें, रख आपस में प्रीति। 

एक-दूसरे से नहीं, रखते दिल में बैर। 

नहीं परायों को कभी, जहाँ समझते गैर। 

जहाँ प्रेम का ही सदा, होता है गुणगान। 

मेरे भारत देश-सा कोई नहीं महान।।


ऐसे - ऐसे वीर हैं, भारत-माँ की गोद। 

दुश्मन को पाताल से, पल में ला लें खोद। 

वीर भगत आज़ाद सम, जन्में लाल शहीद। 

बार-बार जो शत्रु को, देते थे ताक़ीद।

वीर आज भी देश की, ख़ातिर देते जान। 

मेरे भारत देश-सा कोई नहीं महान।।


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