मेरे अल्फाज
मेरे अल्फाज
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ये मजबूरियाँ, ये दूरियाँ
और हालात की जंजीरों से
बंधे दो तड़पते दिल
क्या करे ?...
विवश हैं, मजबूर हैं
कभी एक तड़पा था, दूसरे के लिए
आज दोनों तड़प रहे हैं
एक दूजे के लिए,
पर इनका मिलन होगा
जरूर होगा...
जानते हैं कैसे?
ये मजबूरियाँ,ये दूरियाँ
कब तक इन्हे रोकेंगी ?
और, जरिया बनेगी
इनकी बेपनाह तड़प