STORYMIRROR

Pushpa Srivastava

Romance

4  

Pushpa Srivastava

Romance

मेरा श्रृंगार

मेरा श्रृंगार

1 min
600

सखी ! तुम मेरा श्रृंगार करो

बीती रात कमल दल फूले

हुआ रोम-रोम मेरा प्रफुल्लित

बगिया भी हो गई पुलकित

बगिया के सारे फूलों से

प्रिय के आने से पहले

तुम मेरा श्रृंगार करो।

सखी ! तुम ....


फूलों से मेरी मांग

अधरों पर मेरे लाली

अंखियों में काजल

माथे पर सुंदर तिलक

प्रिय के आने से पहले

तुम मेरा श्रृंगार करो।

सखी !तुम ...


फूलों की मेरे झांझर

फूलों का ह्रदय हार

कानों में सुंदर झूमर

हाथों में खनके कंगन

प्रिय के आने से पहले

तुम मेराश्रृंगार करो।

सखी ! तुम ....


फूलों सी दमके मेहंदी

पैरों में लाल महावर

सज गया सुंदर तन

फूलों जैसा सुंदर मन

प्रिय के आने से पहले

तुम मेराश्रृंगार करो।

सखी ! तुम ....


फूलों सी लाल चुनर

चमचम तारे इसमें भरो

राह में बिछाओ फूल

फैले खुशबू चहुं ओर

प्रिय के आने से पहले

तुम मेरा श्रृंगार करो।

सखी ! तुम मेरा श्रृंगार करो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance