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Pushpa Srivastava

Others

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Pushpa Srivastava

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नारी

नारी

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कोमल नाजुक नहीं है वो नारी

करती मन से हर जिम्मेदारी पूरी

राह से दूर करती मुश्किलें सारी

करके मेहनत मशक्कत भारी।


सब तरफ मची है होड़ा - होड़ी

सब की तृष्णा की चादर है चौड़ी

उसने ही स्वार्थों की मर्यादा तोड़ी

भरी सबके बीच की खाई चौड़ी।


फैलाती कण-कण में नवजीवन

करती रसमय जग में हर एक मन

आशा के दीप से करती जग रौशन

चाहती सुख शांति फैले हर जीवन।


मानो न मानो वो है बहुत हिम्मत वाली

पोंछती सब के आंसू नहीं वो रोने वाली

है बहुत प्यार से वो साथ निभाने वाली

माँ, बहन, बीवी है वो भोली सूरत वाली।


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