पिता
पिता
भागदौड़ भरी
रहती सदैव
ये जिंदगी
फिर भी कुछ
खुशियों के पल
चुरा लेता हूँ।
पिता हूँ
अपने मासूम
फरिश्तों की
भोली सूरत
देख कर दिल
बहला लेता हूँ।
उनकी बालसुलभ
मनभावन
शरारतें देखकर
दिल से मैं
बहुत खुश होता हूँ।
सपने उनके
पूरे करने को
अपनी तरफ से
हर संभव
कोशिश पूरी
सदैव करता हूँ।
महंगाई का
पर यहां
नित नया
हाल देखकर
मैं डर
डर जाता हूँ।
बच्चों के
सपनों की
लिस्ट है बड़ी
अपनी फटी
जेब देखक
र
दंग रह जाता हूँ।
कैसे करूं ?
बच्चों की
ख्वाहिशें पूरी
अपनी गरीबी,
बेबसी देख
चिंता में पड़ जाता हूँ।
अनगिनत चीजों
के पीछे
अपने बच्चों को
मचलते देख
मैं दिल से
बहुत रो पड़ता हूँ।
हर ख्वाहिश
हर इक
सपना उनका
मैं हरदम
ही पूरा
करना चाहता हूँ।
कठिन परिश्रम
करके भी पर
महंगाई से
होकर मजबूर
व लाचार सदैव
अपने को पाता हूँ।
है मेरा भी
छोटा सा
यही ख्वाब
ऊंचाइयों पर
अपने मासूमों को
मैं देखना चाहता हूँ।