मेरा प्यारा सा चंडीगढ़
मेरा प्यारा सा चंडीगढ़
आ जाये एक बार यहाँ,चाहे नेता हो या एक्टर
दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता, चेन्नई से भी है ये बढ़कर
मोहल्ला,कालोनी,नगर,विहार का नहीं है कोई चक्कर
मेरे इस शहर में तो हैं, सिर्फ़ सेक्टर ही सेक्टर
चौड़ी-चौड़ी सड़के, बीच में है गोलचक्क़र
चमचमाती लाइटें मुस्कुराती हैं खिलकर
किसी ने इंडिया का पेरिस कहकर बुलाया
तो कभी इसने ऐशिया की,
क्लीन सिटी का ख़िताब पाया
मिलते हैं हर समुदाय के लोग,
कुछ पुराने तो कुछ मार्डन
दोस्तों इस शहर में,
हैं विभिन्न गार्डेन ही गार्डेन
कूड़ा-करकट देखकर भी कैसे ?
आता है मनसूबा
इसी का तो रॉक-गार्डेन,है एक अजूबा
रोज़-गार्डेन में है फूलों की बहार
टेरिस में पाइये संगीतमय,
फुवारों की बौछार
शाम के सुहाने पल हो,
और सुखना-झील का जल
नौका-विहार का आनंद,
साथ चांदनी की शीतलता का अनुभव
शिमला से आती ठंडी हवाएं,
कानो में होले से संगीत सुनाये
कुछ ही फासले पर,
मनसा-देवी का मंदिर
कैसे भूल सकते हैं पिंजौर और छतबीड़
यहाँ पर भी होती है पर्यटकों की भीड़
दोस्तों मेरा शहर नहीं,
है किसी बात में कम
देखो पास में ही है मोहाली-स्टेडियम
हरियाली से भरा प्यारा सा शहर
पंजाब और हरियाणा के बीच,
बसा छोटा सा शहर
जहाँ पर है मेरा नन्हा सा घर
जिस शहर के ख़्वाब में देखा,
करती थी अक्सर
जी हाँ ठीक समझा आपने ये है
मेरा प्यारा चंडीगढ़।