Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Aanchal Soni 'Heeya'

Fantasy

4  

Aanchal Soni 'Heeya'

Fantasy

मेरा हबीब ज़रा बेसब्र मिला है।

मेरा हबीब ज़रा बेसब्र मिला है।

1 min
249


मेरा हबीब ज़रा बेसब्र मिला है।

अक्ल का कामिल व दिल का पाक मिला है,

बातें बड़ी शोडी करता है।


हर बात में मेरी मुस्कान टटोलता है,

पर फितरत से ज़रा बेसब्र मिला है।


मेरा हबीब ज़रा बेसब्र मिला है।।

तकदीर हो उसकी की या तस्वीर हो मेरी,

वक्त के ज़र्रे ज़र्रे में अपने करीब रखता है।


मैं देर क्या कर दूं रूबरू होने में ज़रा,

वह बेचैनयां तमाम रखता है।

मेरा हबीब ज़रा बेसब्र मिला है।।


मुझसे तो इतनी झल्लगी करता, रब जाने

माशूका से अपने कितनी दिल्लगी करेगा।


वह कह देगी अगर तो चांदी सा दरिया बना,

चांद ज़मीन पर ही उतार ले आएगा।


पर वो कह तो दे जरा ठहरो अलिफ़,

तो यकीनन सब्र नहीं करेगा।

हां मेरा हबीब ज़रा भी सब्र मिला है।।


जिसका भी बने अलिफ़ वो बेमिसाल बनेगा,

एक मौका बक्से अगर रब उसे...


वह माशूका का सरताज बनेगा।

पर बारी हो जरा सब्र की तो वह पीछे हटेगा।

हां मेरा हबीब ज़रा बेसब्र मिला है।।


अब एक ही गुज़ारिश है खुदा से मेरी,

जैसा आंका है मैंने पाक सीरत उसकी


वो मेरी भ्रम नहीं हक़ीक़त हो उसकी।

बदले में मंजूर है, मुझे उसकी बेसब्री।


तो क्या हुआ वो ज़रा बेसब्र मिला है !

हां मेरा हबीब ज़रा बेसब्र मिला है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy