मेरा एतबार
मेरा एतबार
तुम पर जो मेरा अटूट एतबार है,
तुम्हें देख कर जो मेरे चेहरे पर निखार है,
बदल गया तुम्हारे साथ से मेरा संसार है,
बोलो सनम क्या यही प्यार है,
मुश्किलों में मेरे साथ-साथ खड़े रहे,
दर्द में मेरे मुझसे जुड़े रहे,
भंवर में फंसी मेरे जीवन की किश्ती
को किनारे खींच लाये,
तुम कहते हो तुम्हारी जान मुझ पर निसार है,
उलझन में हूँ सनम क्या यही प्यार है,
मेरे दर्द सुनकर तुम्हारी आँखों में आंसू आ गए,
मुझे गम से घिरा देखाकर तुम भी घबरा गए,
साथ-साथ चलते हम-तुम कहाँ आ गए,
क्यों मैंने पहचाना नहीं सच बोलो सनम
क्या यही प्यार है,
मुड़के देखने पर अपना कोई आता नहीं नज़र,
ये तेरी है चाहतों का असर,
तुम तो मेरी हर दुआ में हो शामिल,
क्या बन सकी मैं तुम्हारे काबिल,
तुम ही मेरे चितचोर हो,
जानूं न सनम समझा दो क्या यही प्यार है,
जब कभी मैं हो जाती बीमार करते यूँ प्यार का इजहार,
सनम तब तुम मेरे लिए काफी-चाय बनाते हो,
सब्जी काटकर रोटी बना खाना भी खिलाते हो,
इतना स्वादिष्ट खाना खिला दिल पर तुम छा जाते हो ,
महसूस तो होता है पर फिर भी क्या यही प्यार है,
लेती रही है जिंदगी तरह-तरह के इम्तेहान,
जीवन के इस सफर में हैं कितने ही तूफ़ान,
संघर्षों भरा ये जीवन है कितना अनजान ,
तुम्हारे सहारे ही पार किया हर तूफ़ान,
तूफानों में तुम्हारे सहारों का जो आसरा है,
बोलो सनम क्या यही प्यार है,
तुम्हारे सहारे पार कर लिया हर तूफ़ान,
कुछ सोच कर पूछती हूँ क्या यही प्यार है,
तुमसे ही मेरे जीवन का श्रृंगार है,
मुझे तुम्हारा साथ गुले-गुलज़ार है,
तुम्हें देख कर मेरी आँखों में एक खुमार है,
बंद करके बैठूं आँखें तो होता तुम्हारा ही होता दीदार है,
प्रेम से रिश्तों के बगीचे को सींचना
प्रेम से ही फल-फूल रहा संसार है,
तुम्हारा मुझे यूँ समझाना
क्या यही प्यार है।
