मेरा धर्म तेरे मुताबिक
मेरा धर्म तेरे मुताबिक
हाँ हर तरह से रह लेंगे तेरे मुताबिक हम
चाहो तो आज़मा लो हमको कभी सनम..
रब तुझको माना मैंने..घर मंदिर समझा
प्रेम प्रज्वलित करना ही अब मेरा धरम..
ज़माना दिखाये वो कभी नहीं देखियेगा
जब स्वहृदय की सुनोगे..दूर होंगे भरम..
सब छोड़कर आयी मैं इक तुम्हारे भरोसे
दे दो वादा मेरी रक्षा ही होगा तेरा करम..
जन्मों जन्मों से हम एक ही है जानेमन
है झिझक क्यों समर्पण में कैसी शरम.