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अमित प्रेमशंकर

Drama

3  

अमित प्रेमशंकर

Drama

मेरा बचपन

मेरा बचपन

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वो यादें वो बचपन

वो खुशियां वो उपवन।

कहां खो गई,

ना पता अब सजन।


धूल मिट्टी में हरदम

लिपटे थे मगन।

ना घर की फ़िक्र थी

ना ख़ुद की जतन।


क्या लिखूं इस से ज्यादा

ना लगता है दिल।

ना कलम में है स्याही

ना करता है मन।


अब तू ही बता दे

बता दे सजन।

कहां खो गया

वो मेरा बचपन।


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