मेहनतकश स्त्रियाँ...
मेहनतकश स्त्रियाँ...
गम-खुशी, सुख-दुख के रागों में,
मेहनतकश स्त्रियाँ मन में साज सजोंती है।
दिन और रात के काले सफेद धागों में,
मेहनतकश स्त्रियाँ धैर्य के मोती पिरोती हैंं।
लोग घूमते हैं जो मोटरकार व तांगो में,
मेहनतकश स्त्रियाँ राहों के लिये पत्थर तोड़ती हैंं।
पैरो में, झुलसते गर्म रेत के दागों में,
मेहनतकश स्त्रियाँ पानी के कलशें ढोती हैं।
बाबुल को छोड, हमसफर के बागो में,
मेहनतकश स्त्रियाँ नव जीवन रोपती हैं।
तेल व बाती ही जलते हैं सदा चिरागों में,
मेहनतकश स्त्रियाँ दूजे के खातिर नाम खोती हैं।
"मोहे स्त्री जीवन ही देना" अपनी हर माँगो में,
मेहनतकश स्त्रियाँ ईश्वर से सदा बोलती हैं।