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Drama

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मदमस्त सावन

मदमस्त सावन

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बदरा की चादर,

ओढ़े आया सावन,

मदमस्त फुहार,

बरसावै है।


कोयल के,

कुहू-कुहू से तन-मन,

हर्षित-आनंदित,

गीत गावै है।


पड़ गये, पेड़वन पर झूलन,

सखी-सहेली,

सोहर गावै है।


विरहा की अग्नि,

में जलत राधिका,

कृष्ण मिलन की,

आस संजोये है।


झर-झर बरसे बदरा,

खल-खल बहती नदिया,

मन मे नित नई,

उमंग जगावै है।


देखो-देखो आया,

सावन यारों,

तन-मन को,

आग लगावै सै।


प्रेमी-प्रेमिका,

मिलन की देखो,

शुभ-मंगल,

बेला लावै है।


विरह की ज्वाला,

को बुझावन,

देखो-देखो,

सावन आवै है।


बदरा की दचादर,

ओढ़े आया सावन,

मदमस्त फुहार,

बरसावै है।


देखो-देखो यारों,

तन-मन को हर्षाने,

कारै-कारै बदरा,

संग सावन आवै है।


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