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Drama

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गुनाहो का मसीहा

गुनाहो का मसीहा

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गुनाहो का मसीहा लोग मुझें कहतें हैं,

कभी शायर तो कभी कवि

तो कभी मतलबफरोख्त कहतें है।


करतेें है खुद गुनाह,

ढांहते है जुल्म आंधिया

उजड़ा घर लोगो का,

तो कुसूरवार मुुुुझको कहते है।


वाह रेे !

जमाने केे ए काफिरो

जो रहता है बेेेकसूूर

उसी को कसूूरवार कहतें हो।



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