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Bhawna Kukreti Pandey

Abstract

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Bhawna Kukreti Pandey

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मधुर स्मृतियां

मधुर स्मृतियां

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एकांत में 

मन ही मन 

अपनी मधुर स्मृति 

से बनी दुनिया को

टटोलते हुए

जब मिल जाते हैं चंद 

मद्धिम आवाज में

कभी कहे, 

लिखे गए वाक्य...!


उनमें गूंथे

शीतल कोमल 

भावनाओं से सिक्त

शब्दों की

मधुर गुनगुनाहट 

तिलस्मी तरीके से 

सुकून को 

पल भर को सही

पर ढूंढ ही 

लाती है ...।


और यूं 

अक्सर जिंदगी की 

चुभती तपिश 

और समय की 

उमस में

थकी हारी

अपने आपको

अपनी बांहों से

समेट 

एक कोने में 

सो जाती हूँ अक्सर

सीने के करीब 

उन ठंडे फाहे से

शब्दों को

महसूस करते हुए।


ठंडक से 

फफोले 

नहीं उभरते...


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