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Nand Kumar

Children

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Nand Kumar

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मधुमक्खी

मधुमक्खी

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श्रम में तन्मय मैं मधुमक्खी,

फूल फूल पर जाती हूं।

फूलों का रस लेकर उससे,

मधुमय शहद बनाती हूं।

स्वयं न खाती तुम्हें खिलाती,

पर क्या तुमसे पाती हूं।

उजड़ा घर शिशु मरे हुए ,

बस यही देख पछताती हूं  ।




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