मौन
मौन
असंख्य भीड़ को अपने अंदर समेटे हुए,
अपनत्व के मायाजाल से थोड़ी दूर,
एक मृग तृष्णा को चीरने वाली,
स्वयं की तलाश में लगी एक दौड़,
हाँ युगों की प्रार्थना को सीने से खड़ी,
एक महत्वपूर्ण इकाई हूँ,
मैं लाचारी नहीं हूँ,
मैं प्रहार नहीं हूं,
मैं पहाड़ नहीं हूँ,
मैं स्रोत हूँ कहीं,
शीतलता का लोप लिए,
हाँ मैं मौन हूँ,
अनगिनत प्रश्नों का उत्तर लिए,
हां मैं मौन हूँ,
दिग्विजय सी सीमाओं से अधिक विस्तृत,
हाँ मैं मौन हूँ,
संकीर्ण चेतनाओं से दूर कहीं,
ढूंढ़ रहा निज जीवन को,
हाँ मैं होकर मौन सही,
ढूंढ़ रहा हूँ निज मन को।
