पार्वती सूत बस इतनी सी विनती
पार्वती सूत बस इतनी सी विनती
प्यास मिटे हर प्यासे की,
गूंगे को सुर और ताल मिले,
प्रेम कभी न बोझ बने,
समाज मे उसको सम्मान मिले,
संस्कार बने जो आत्मदाह,
उनको जंजीरों का उद्धार मिले,
बाबा के पुत्र गजानन,
तुमसे सबको जीवन का गान मिले,
भूखे को अन्न का दाना,
अज्ञानी को ज्ञान मिले,
बप्पा तुम्हारे चरणों में,
'अनमोल' को भी स्थान मिले।